नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज 24 मई को चुनाव आयोग को राहत भरी खबर सुनाई। मतदान के पूरे आंकड़े देरी से जारी होने पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान प्रतिशत के आंकड़े उसकी वेबसाइट पर अपलोड करने के संबंध में कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिका दायर करने की टाइमिंग पर भी सवाल खड़े किए। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और एस.सी. शर्मा की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की।
फॉर्म 17 सी को वेबसाइट पर अपलोड करना सही नहीं
बता दें कि NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका पर चुनाव आयोग ने कोर्ट से कहा कि फॉर्म 17 सी (प्रत्येक मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों के आंकड़े) को वेबसाइट पर अपलोड करना उचित नहीं होगा।
आयोग ने शीर्ष अदालत को बताया कि सभी मतदान केंद्रों पर दर्ज वोटों की जानकारी वेबासइट पर अपलोड करने से चुनावी प्रक्रिया में अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी।
याचिकाकर्ता वोटर्स को भ्रमित कर रहे
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव के 5 चरण हो चुके। अभी चुनाव आयोग पर प्रक्रिया बदलने के लिए दबाव डालना सही नहीं होगा। याचिकाकर्ता ADR का मकसद वोटर को भ्रमित करना है। बता दें कि ADR की मंशा पर सवाल उठाते हुए SC ने एक याचिका 26 अप्रैल को ही खारिज की थी।
चुनाव को बदनाम करने की कोशिश की जा रही
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि फॉर्म 17C को स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है। यह आरोप पूरी तरह से गलत है। चुनाव को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।