नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के बयान का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से जवाब मांगा है। दरअसल, विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव ने कहा था कि देश बहुसंख्यक के हिसाब से चलेगा।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “सुप्रीम कोर्ट ने समाचार पत्रों में छापे इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश शेखर कुमार यादव के भाषण का संज्ञान लिया है। उच्च न्यायालय से ब्योरा मंगवाया गया है। मामला विचाराधीन है।
गौरतलब है, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की लीगल सेल की ओर से रविवार 8 दिंसबर को आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस शेखर यादव ने कई टिप्पणियां की थीं, जिनपर अब विवाद गहरा गया है।
सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान लेने से पहले न्यायिक जवाबदेही और सुधार अभियान (CJAR) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के खिलाफ आंतरिक जांच की मांग की।
दरअसल, 8 दिंसबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के लाइब्रेरी हॉल में विश्व हिंदू परिषद के विधि प्रकोष्ठ ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता का मुख्य उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देना है। एक दिन बाद न्यायाधीश एक वीडियो सामने आया।
उन्होंने कहा कि जब देश और संविधान एक हैं तो कानून एक क्यों नहीं है? अपने भाषण में जस्टिस यादव ने शाह बानो केस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि तीन तलाक गलत है। मगर उस समय की सरकार को झुकना पड़ा।