नई दिल्ली। NEET-UG पेपर लीक केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि यह परीक्षा दोबारा नहीं कराई जा सकती क्योंकि बड़ी गड़बड़ी साबित नहीं हो सकी है। कोर्ट ने कहा कि फिर से परीक्षा कराना ठीक नहीं होगा और यह 24 लाख छात्रों के भविष्य का मामला है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए IIT दिल्ली की रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने अपनी दलील में कहा है कि ये साफ है कि 4 मई को स्टूडेंट्स को पेपर मिल चुका था। उन्होंने पेपर के सही जवाब याद किए और फिर भी फेल हो गए। पेपर लीक के लिए लंबी टाइमलाइन जरूरी है, कम समय में ये हो ही नहीं सकता।
सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल प्रवेश परीक्षा के आयोजन में अनियमितताओं और कदाचार का आरोप लगाने वाली 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोबारा परीक्षा कराने और रिजल्ट रद्द करने की मांग वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
इससे पूर्व कल सोमवार को मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने IIT दिल्ली के निदेशक से अपने तीन बेहतरीन प्रोफेसरों को परीक्षा के भौतिकी के पेपर में एक पेचीदा और “अस्पष्ट” प्रश्न को 24 घंटे के भीतर हल करने और वापस रिपोर्ट करने के लिए कहा।
परीक्षा के परिणाम दूषित थे, इसका कोई सबूत नहीं
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वर्तमान स्थिति में, रिकॉर्ड में ऐसी कोई सामग्री नहीं है जो यह दर्शा सके कि परीक्षा के परिणाम दूषित थे या परीक्षा के संचालन में कोई प्रणालीगत उल्लंघन हुआ था।
पटना और हजारीबाग में हुआ है पेपर लीक
CJI ने कहा, पटना और हजारीबाग में लीक होने पर कोई विवाद नहीं है। सीबीआई के खुलासे से पता चलता है कि जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है, लेकिन पटना और हजारीबाग के अभ्यर्थी लीक से लाभान्वित हुए प्रतीत होते हैं।
23 लाख से अधिक छात्रों के करियर का सवाल
आदेश सुनाते हुए CJI ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाया गया मुख्य मुद्दा यह है कि दोबारा परीक्षा का आदेश दिया जाना चाहिए क्योंकि पेपर लीक हुआ था और परीक्षा के संचालन में प्रणालीगत कमियां थीं। वर्तमान जैसे मामले में, यह जरूरी है कि इस विवाद को तत्काल निश्चितता और अंतिमता प्रदान की जाए, क्योंकि इससे 23 लाख से अधिक छात्रों का करियर प्रभावित होता है।