नई दिल्ली। देश में अक्सर इस मुद्दे पर चर्चा होती है कि क्या पूर्व जजों को राजनीति में शामिल होना चाहिए या नहीं? हाल ही में यह सवाल भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ से भी पूछा गया।
इस सवाल का जवाब देते हुए पूर्व CJI ने कहा कि हमारा समाज रिटायर न्यायाधीशों को भी न्याय प्रणाली के संरक्षक के रूप में देखता है उनकी लाइफ स्टाइल समाज के कानूनी सिस्टम के मुताबिक होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हर जजों को तय करना होता है कि रिटायरमेंट के बाद उनके द्वारा लिए गए फैसले उन लोगों पर असर डालेगा या नहीं, जो न्यायाधीश के रूप में उनके द्वारा किए गए काम का मूल्यांकन करते हैं।
न्यायाधीश भी आम नागरिक हैं
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 65 साल की उम्र में वो ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते जिससे उनके काम या न्यायपालिका की साख पर सवाल खड़े करे। हालांकि, उनका उद्देश्य राजनीति में प्रवेश करने वाले पूर्व जजों पर आरोप लगाना नहीं है। न्यायाधीश भी आम नागरिक हैं और उन्हें भी अन्य नागरिकों के समान अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन समाज उनसे उच्च आचरण की अपेक्षा करता है।
लोग 20 सेकेंड का वीडियो देखकर राय बना लेते हैं
पूर्व सीजेआई ने कहा कि जजों को ट्रोलिंग से बहुत सावधान रहना होगा। ट्रोलर्स कोर्ट के फैसलों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। लोकतंत्र में कानूनों की वैधता तय करने की पावर कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट को सौंपी गई है।
चंद्रचूड़ ने कहा कि आजकल लोग यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखे 20 सेकेंड के वीडियो के आधार पर राय बना लेते हैं। ये बहुत बड़ा खतरा है। बता दें कि 10 नवंबर को डीवाई चंद्रचूड़ सीजीआई के पद से रिटायर हुए थे।