लंदन। आतंकवाद से ग्रस्त पाकिस्तान के बलूचिस्तान में कुछ दिनों पहले ट्रेन हाईजैक की घटना घटी। बलूच विद्रोहियों ने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक कर लिया था। ट्रेन में 440 यात्री सवार थे।
एक तरफ जहां पाकिस्तानी सेना ने सभी बंधकों को मुक्त कराने के साथ ऑपरेशन खत्म होने का दावा किया है, वहीं बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने दावा किया है कि अभी भी पाकिस्तान के कई जवान उनके कब्जे में हैं। इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान पाकिस्तान की ओर खींच लिया।
बलूच मानवाधिकार परिषद ने घटना पर क्या कहा?
ट्रेन हाईजैक को लेकर लंदन में बलूच मानवाधिकार परिषद के सूचना सचिव, खुर्शीद अहमद ने घटना पर चिंता जताते हुए कहा, यह घटना दर्शाती है कि पाकिस्तान कमजोर हो रहा है। जबकि बलूचिस्तान में बलूच स्वतंत्रता सेनानी मजबूत हो रहे हैं।
खुर्शीद अहमद ने विद्रोहियों की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि ऐसी कठोर परिस्थितियों में भी बलूच स्वतंत्रता सेनानियों ने मानवाधिकार मानकों का पालन किया और बुजुर्ग, महिलाओं और परिवारों को क्वेटा वापस जाने दिया।
उन्होंने कई सैन्य कर्मियों को बंधक बना लिया और गायब हुए बलूच लोगों की रिहाई की मांग की। हमें लगता है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं रुकेंगी।
उन्होंने आगे कहा,”हम बलूच स्वतंत्रता सेनानियों, विशेष रूप से बीएलए को बलूचिस्तान में पाकिस्तान-चीन परियोजनाओं पर हमला करते हुए देख रहे हैं। बीएलए अपनी मातृभूमि की रक्षा कर रहा है। बलूचिस्तान की स्थिति की मांग है कि भारत और पश्चिमी शक्तियों को बलूच के राष्ट्रीय संघर्ष का समर्थन करना चाहिए।”
ट्रेन हाईजैक को लेकर पाकिस्तान रेलवे ने दिया बयान
रेलवे नियंत्रक मुहम्मद कासिफ ने बताया है कि नौ डिब्बों वाली इस ट्रेन को सुरंग संख्या 8 में हथियारबंद लोगों ने रोका। पाकिस्तान रेलवे के अनुसार, इस रेलमार्ग पर 17 सुरंगें हैं और दुर्गम इलाका होने के कारण ट्रेनें अक्सर धीमी गति में चलती हैं।
पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने घटना की निंदा करते हुए कहा,”बेगुनाह यात्रियों पर गोली चलाने वाले दरिंदे किसी भी रियायत के हकदार नहीं हैं।
गौरतलब है कि इस रेलखंड पर बलूच आतंकवादियों द्वारा रॉकेट या रिमोट-नियंत्रित बमों से हमला किया जाता रहा था। अधिकांश हमलों की जिम्मेदारी बीएलए ने ली थी।
बीते अक्टूबर में पाकिस्तान रेलवे ने डेढ़ महीने से अधिक समय बाद क्वेटा और पेशावर के बीच रेल सेवाएं बहाल की थीं। पिछले एक साल में बलूचिस्तान में आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी हुई है। नवंबर 2024 में क्वेटा रेलवे स्टेशन पर हुए आत्मघाती धमाके में 26 लोग मारे गए थे और 62 अन्य घायल हुए थे।
हिंसक अलगाववाद से जूझ रहा बलूचिस्तान
तेल और खनिज संपन्न बलूचिस्तान, क्षेत्रफल के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा लेकिन सबसे कम आबादी वाला प्रांत है। ईरान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा बलूचिस्तान लंबे समय से हिंसक अलगाववाद से जूझ रहा है।
बलूच विद्रोही समूह अक्सर सुरक्षाकर्मियों, सरकारी परियोजनाओं और क्षेत्र में 60 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत वाली चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजनाओं को निशाना बनाकर हमले करते रहते हैं।