नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने अपने उत्पादों को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाली कंपनी द्वारा जारी विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है। इस पर शीर्ष अदालत ने जमकर फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि हम अंधे नहीं हैं। हम माफीनामा स्वीकार करने से इनकार करते हैं।
पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष योग गुरु बाबा रामदेव का हलफनामा पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह विज्ञापन के मुद्दे पर बिना शर्त माफी मांगते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इसे जानबूझकर आदेश की अवहेलना मानते हैं। समाज को यह संदेश जाना चाहिए कि न्यायालय के आदेश का उल्लंघन न हो।
इससे पहले बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने बिना शर्त माफी मांगी थी। दोनों ने एक हलफनामा दायर कर यह कहा था कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे और गरिमा बरकरार रखेंगे। वहीं पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने माफी को एक दिखावा बताया था।
कोर्ट से मिली थी रामदेव और बालकृष्ण को फटकार
सुप्रीम कोर्ट की जज हिना कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की आलोचना की थी। अप्रैल की शुरुआत में हुई सुनवाई में कहा गया कि आपकी माफी महज एक दिखावा है,यह बचाव योग्य नहीं है। हम स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं और यह घोर लापरवाही है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी लपेटे में लिया था। कोर्ट ने पूछा था कि जब पतंजलि ने कोविड के दौरान आधुनिक चिकित्सा को खारिज कर दिया था, तब केंद्र सरकार ने इसपर कार्रवाई क्यों नहीं की थी।