पिछले साल प्रदेश में 11वां स्थान हासिल करने वाले आगरा ने इस बार गाजियाबाद को पछाड़ दिया है। स्वच्छ सर्वेक्षण-2025 में आगरा 44 नगर निगमों के बीच हुए मुकाबले में 10वें नंबर पर रहा। वहीं प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के बीच आगरा दूसरे नंबर पर रहा है।
दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल का शहर स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 के परिणाम में देशभर के 44 नगर निगमों के बीच हुए मुकाबले में 10वें नंबर पर रहा। वहीं प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों के बीच आगरा दूसरे नंबर पर रहा है। बीते साल प्रदेश के ही अन्य शहरों से मुकाबले में आगरा को 11वीं रैंक मिली थी। इससे पहले आगरा वर्ष 2020 में प्रदेश में दूसरे नंबर पर आया था।
प्रयागराज में हुए महाकुंभ के आयोजन के बाद भी आगरा ने सफाई के मामले में बाजी मार ली। इस बार के स्वच्छ सर्वेक्षण में लखनऊ पहले नंबर पर रहा तो आगरा को दूसरा स्थान मिला। बीते साल के नंबर-1 शहर गाजियाबाद को इस बार तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा, जबकि महाकुंभ का आयोजन करने वाले प्रयागराज को चौथा स्थान मिला।
इससे पहले के स्वच्छ सर्वेक्षणों में आगरा की स्थिति बेहद खराब थी। बीते साल प्रदेश में आगरा 11वें नंबर पर था तो उससे पहले छठवें पर।
सर्वेक्षण वर्ष देश में रैंक प्रदेश में रैंक
2023 85 11
2022 23 06
2021 24 03
2020 16 02
2019 85 –
इस बार प्रदेश के नगर निगमों को मिले अंक
रैंक नगर निगम अंक
1 लखनऊ 12,001
2 आगरा 11,532
3 गाजियाबाद 11,514
4 प्रयागराज 11,292
5 गोरखपुर 11,278
6 कानपुर 11,022
7 वाराणसी 10,728
5-आर सेंटरों ने किया कचरे का उपयोग
स्वच्छ सर्वेक्षण में रैंक सुधरने की वजह 5-आर सेंटरों का निर्माण रहा, जहां रिफ्यूज, रिड्यूज, रीयूज, रिपेयर, रिसाइकिल के जरिये उन चीजों का इस्तेमाल किया गया जो अब तक कचरे में फेंकी जा रही थीं। इन सेंटरों से स्वयंसेवी संस्थाओं की महिलाओं को जोड़कर उन्हें रोजगार दिया गया। वहीं कबाड़ से कमाल की चीजों को बनाकर देशभर के पर्यटकों को लुभाया गया। शहर में जगह-जगह कबाड़ से कमाल कृतियां चौराहों, सड़कों के किनारे लगाई गई हैं। निगम की वर्कशॉप में लगातार उनसे निर्माण किया जा रहा है। इसका असर रैंकिंग पर पड़ा।
डलावघर किए खत्म, बनाए सेल्फी प्वाइंट
आगरा को गार्बेज फ्री सिटी में 5 स्टार सर्टिफिकेट हासिल हुआ है। इससे 1100 अंकों का सीधा फायदा रैंकिंग में हुआ। जीएफसी मिशन में लगे सेनेटरी इंस्पेक्टर संजीव यादव ने बताया कि डलावघर खत्म कर उनकी जगह सेल्फी प्वाइंट और पार्क बनाए गए ताकि सड़कों के किनारे कचरा न दिखे। सेल्फी प्वाइंट बनने से लोगों ने वहां कचरा डालना बंद कर दिया। डलावघर न होने और नियमित सफाई का असर स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग पर पड़ा। अगले साल इसमें और सुधार किया जाएगा।