अहमदाबाद/नई दिल्ली। बिलकिस बानो केस में दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बिलकिस बानो मामले में दो दोषियों की अंतरिम जमानत की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
इन दोषियों ने 8 जनवरी को मिली सजा में छूट रद्द किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सवाल उठाए और कहा कि यह कैसे स्वीकार्य हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के सुनवाई से मना करने के बाद दोषियों के वकील को याचिका वापस लेनी पड़ी।
बेंच को हुई याचिका पर हैरानी
जस्टिस संजीव खन्ना और पीवी संजय कुमार की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ही एक और पीठ के आदेश पर अपील कैसे की जा सकती है? बेंच ने कहा कि ये कैसी याचिका है, यह कैसे स्वीकार्य है? यह याचिका कैसे सुनवाई योग्य हो सकती है? यह बिल्कुल गलत है। अनुच्छेद 32 के तहत याचिका कैसे दायर की जा सकती है? हम दूसरी पीठ द्वारा पारित आदेश पर अपील कैसे सुन सकते हैं?
बेंच के कड़े रुख के बाद दोषियों के वकील ने याचिका को वापस ले लिया। बिलकिस बानो केस के दोषी राधेश्याम भगवानदास शाह और रजुभाई बाबूलाल सोनी की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। इसके बाद पीठ ने वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
मार्च महीने में लगाई थी अर्जी
बिलकिस बानो केस में दोषी ठहराए गए भगवानदास शाह ने अंतरिम जमानत के लिए भी याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि जब तक कि उनकी सजा में छूट पर नया फैसला नहीं आ जाता, तब तक अंतरिम जमानत दी जाए। मार्च में दोनों दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और दलील दी थी।
8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों को छूट देने के गुजरात सरकार के आदेश को खारिज कर दिया था।
इसमें सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में सभी 11 दोषियों की माफी रद्द कर दी थी। उस वक्त दो आरोपियों ने इस फैसले को चुनौती दी थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सुनवाई से इनकार कर दिया और अपनी याचिका वापस ले ली।