नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा स्पीकर के मुद्दे पर एनडीए के घटक दलों के बीच लगभग सहमति बना ली है। भाजपा के उम्मीदवार पर सहयोगी दलों का पूर्ण समर्थन मिल गया है। अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ सहमति बनाने पर जुट गए हैं।
सत्ता पक्ष के संख्या बल और सरकार के साथ उसके सहयोगियों से समन्वय को देखते हुए माना जा रहा है कि स्पीकर के मुद्दे पर आम सहमति बन सकती है। हालांकि, सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच डिप्टी स्पीकर के मुद्दे पर टकराव हो सकता है।
इसका बड़ा कारण यह है कि अपने संख्या बल को देखते हुए विपक्ष इस बार इससे कम पर सहमत होने के लिए तैयार नहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 24 जून से शुरु हो रहे संसद सत्र के पहले विपक्षी दलों के नेताओं से सहमति बनाने के लिए बातचीत करेंगे।
सरकार की सबसे पहली कोशिश विपक्ष के उन दलों के साथ तालमेल बिठाने का है, जिनसे भाजपा के रिश्ते अपेक्षाकृत बेहतर रहे हैं, लेकिन ये दल इंडिया गठबंधन में भी शामिल नहीं हैं। इनमें BJD, BRS और YSRCP शामिल हैं। इसके बाद दूसरे चरण में कांग्रेस सहित दूसरे दलों से सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
सबसे ज्यादा टकराव डिप्टी स्पीकर के मुद्दे पर देखने को मिल सकता है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पिछले पांच साल से डिप्टी स्पीकर का पद खाली था। सरकार ने कभी विपक्ष को नेता प्रतिपक्ष और डिप्टी स्पीकर का पद देने तक की औपचारिकता नहीं निभाई।
जबकि आजादी के समय से लेकर अब तक यह स्थापित परंपरा थी कि सरकार स्पीकर पद अपने पास रखती थी, जबकि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दे दिया जाता था। लेकिन पिछली सरकार ने यह परंपरा भी तोड़ दी थी। लेकिन इस बार हम (विपक्ष) शांत नहीं रहेंगे।
नेता ने कहा कि इस लोकसभा में विपक्ष से कई नेता बहुत अनुभवी हैं और बहुमत के साथ चुनाव जीतकर आए हैं। ऐसे में किस नेता का नाम डिप्टी स्पीकर पद के लिए आगे बढ़ाया जाएगा, इस पर विचार विमर्श के बाद ही फैसला लिया जाएगा। नेता के अनुसार, संसद सत्र शुरू होने के पहले एक बार फिर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक बुलाकर इस पर गठबंधन के अंदर आम सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी।
इसके पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर हुई बैठक में एनडीए के सहयोगी दलों के साथ हुई बैठक में भाजपा के स्पीकर प्रत्याशी को समर्थन देने के मामले पर सबकी सहमति ले ली गई थी।
चर्चा है कि भाजपा स्पीकर का पद अपने पास रखने के बाद डिप्टी स्पीकर का पद भी अपने खेमे के किसी सहयोगी दल को देने पर विचार कर रही है। यदि ऐसा होता है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संसद में सबसे पहला टकराव इसी मुद्दे पर देखने को मिल सकता है।