नई दिल्ली। उम्र के हर एक पड़ाव पर शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं, लेकिन क्या आप इसका पीक जानते हैं? दरअसल, हमारे शरीर में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया समान गति से नहीं, बल्कि मुख्य रूप से दो चरणों में होती है।
स्टडी में वैज्ञानिक 44 और 60 की उम्र के बारे में बात कर रहे हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के जीनोमिक्स और पर्सनलाइज्ड मेडिसिन सेंटर के निदेशक प्रोफेसर माइकल स्नाइडर की निगरानी में हुए शोध में 25 से 75 साल की उम्र के हजारों लोगों को शामिल किया गया और उनके विभिन्न अणुओं की जांच की गई।
स्टडी में 108 वॉलंटियर्स ने मुंह और नाक से स्वाब्स (सूक्ष्मजीवों के नमूने) और ब्लड और मल के सैंपल की जांच की। बता दें, शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने 135,000 विभिन्न अणुओं (RNA, प्रोटीन और मेटाबोलाइट्स) और सूक्ष्मजीवों (गट और त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और फंगी) का विश्लेषण किया गया।
महिला और पुरुष में अलग होते हैं बदलाव
स्टडी में सामने आया कि उम्र बढ़ने का प्रोसेस एक तरह समान नहीं होता है, बल्कि एक उम्र के एक खास पड़ाव पर शरीर में ज्यादा बदलाव देखने को मिलते हैं।
रिसर्च में खुलासा हुआ कि 40 के दशक में एजिंग का पहला बदलाव देखने को मिलता है और ऐसे वक्त पर अक्सर लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियों के अणुओं, अल्कोहल, कैफीन और लिपिड्स के मेटाबोलिज़्म से जुड़े अणुओं में बदलाव देखने को मिलता है।
स्टडी में बताया गया कि ये बदलाव महिलाओं और पुरुषों में समान रूप से देखे जाते हैं। वहीं, उम्र का दूसरा पड़ाव वैज्ञानिक 60 के दशक को बताते हैं, जब इम्यून सिस्टम में कमजोरी, किडनी फंक्शन से जुड़े मॉलिक्यूल, और कार्बोहाइड्रेट मेटाबोलिज्म में बदलाव देखा जाता है। बता दें, यही वह उम्र है जब मांसपेशियों और त्वचा से जुड़े मॉलिक्यूल भी बदलने लगते हैं।
कैसे पड़ता है एजिंग पर असर?
एजिंग को लेकर तरह-तरह की रिसर्च होती रहती है। ऐसे में, आज भी वैज्ञानिक इससे जुड़े सवालों का जबाव तलाशने में जुटे हैं। आखिर एजिंग को कौन-से फैक्टर्स प्रभावित करते हैं और इन्हें कैसे कंट्रोल किया जा सकता है, ऐसे ही कुछ सवाल इस स्टडी में भी जानने की कोशिश की गई। सेल्यूलर लेवल पर देखा जाए, तो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया शरीर में आई कमियों के कारण होती है।
इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे- न्यूट्रिशन की कमी और सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें इत्यादि। स्टडी की मानें, तो 60 की उम्र में दिमाग और दिल की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। ऐसे में, लाइफस्टाइल में अच्छी डाइट और एक्सरसाइज जैसी चीजों को अपनाना काफी फायदेमंद हो सकता है।