न्यूयॉर्क। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने चीन के साथ संबंधों को लेकर न्यूयॉर्क में बयान दिया है। उन्होंने बीजिंग को साफ शब्दों में संदेश दिया है कि अगर संबंधों को आगे बढ़ाना है तो उसे शांति स्थापित करनी होगी।
न्यूयॉर्क में एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में बोलते हुए जयशंकर ने कहा, ‘चीन के साथ हमारा कठिन इतिहास रहा है। चीन के साथ बॉर्डर से संबंधित कई समझौते हैं। 2020 में चीन ने LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर समझौते का उल्लंघन किया और हमने जवाब दिया।’
भारतीय विदेश मंत्री ने आगे कहा, ‘जब तक शांति और सद्भाव स्थापित नहीं करते, तब तक संबंधों को आगे बढ़ाना कठिन होगा।’ उन्होंने दोनों देशों के बीच सीमा पर पेट्रोलिंग को ‘मुख्य मसला’ बताया।’
जयशंकर ने कहा, ‘भारत और चीन संबंध एशिया के भविष्य की चाबी है। अगर दुनिया बहुध्रुवीय होगी तो एशिया को भी बहुध्रुवीय होना होगा। ये संबंध एशिया और विश्व के भविष्य को प्रभावित करेगा।’
परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा एशिया
एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा एशिया परिवर्तन के अग्रणी छोर पर है और भारत उस परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा है।
एशिया बदलाव में सबसे आगे है। एशिया के भीतर भारत उस बदलाव का नेतृत्व करने वालों में सबसे आगे है। लेकिन वह बदलाव आज वैश्विक व्यवस्था के ढांचे को बढ़ा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत को अस्थिरता और अप्रत्याशित माहौल के बीच उभरने के लिए तैयार रहना होगा। विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर कहा, युद्ध विवादों को सुलझाने का तरीका नहीं है।
भारत ‘संघर्ष को जल्द समाप्त करने और ‘गंभीर बातचीत’ के लिए रूसी और यूक्रेनी सरकारों के साथ बातचीत कर रहा है। हम कोई सुझाव नहीं दे रहे हैं।