गुरुग्राम (हरियाणा)। पूरी दुनिया में आईटी, आईटी इनेबल्ड, टेलीकाम, गारमेंट, ऑटोमोबाइल से लेकर मेडिकल टूरिज्म सेक्टर में पहचान वाली साइबर सिटी के मेयर के चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच घमासान होने की उम्मीद है।
भाजपा की तेजतर्रार नेत्री व महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऊषा प्रियदर्शी और कांग्रेस से प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता राज बब्बर की बेटी अभिनेत्री जूही बब्बर के मैदान में आने की चर्चा है। यदि दोनों आमने-सामने हुईं तो मुकाबला काफी जबर्दस्त होगा।
पिता के चुनाव प्रचार में जूही ने निभाई थी विशेष भूमिका
ऊषा प्रियदर्शी के पास यदि भाजपा का जनाधार है तो जूही बब्बर किसी परिचय की मोहताज नहीं। लोकसभा चुनाव के दौरान अपने पिता राज बब्बर के चुनाव प्रचार के दौरान वह अपनी संवाद कला से बेहतर उपस्थिति दर्ज करा चुकी हैं।
केवल 20 दिन के चुनाव प्रचार में ही राज बब्बर को सात लाख से अधिक मत प्राप्त हुए थे। राज बब्बर के पक्ष में माहौल बनाने में जूही बब्बर ने विशेष भूमिका निभाई थी। प्रचंड गर्मी के दौरान गलियों में जाकर प्रचार अभियान चलाया था।
नतीजा यह हुआ कि जिस गुड़गांव लोकसभा सीट को भाजपा सबसे सुरक्षित मानकर चल रही थी वह बहुत मुश्किल से जीतने में कामयाब हुई। प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है।
भाजपा के 10 से ज्यादा दिग्गज कर रहे थे तैयारी
जिले में नगर निगम गुरुग्राम एवं मानेसर के साथ ही नगर परिषद पटौदी-जटौली-मंडी एवं नगरपालिका फरुखनगर का चुनाव होना है, लेकिन हर किसी की नगर निगम गुरुग्राम के चुनाव पर है।
पूरी साइबर सिटी नगर निगम गुरुग्राम के दायरे में आती है। इस वजह से नगर निगम गुरुग्राम के मेयर को साइबर सिटी का मेयर कहा जाता है। साइबर सिटी के मेयर बनने की चाहत में भाजपा के 10 से अधिक दिग्गज नेता तैयारी कर रहे थे, लेकिन ड्रा में पद बीसी (ए) के लिए आरक्षित हो गया।
इस वर्ग में भाजपा की दिग्गज नेत्री ऊषा प्रियदर्शी आती हैं। इनके अलावा भाजपा के पास दूसरा कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है। सीट आरक्षित हुए चार दिन हो चुके हैं, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए केवल तीन आवेदन पहुंचे हैं।
उनमें से एक आवेदन ऊषा प्रियदर्शी का है। अन्य की कोई पहचान नहीं। कांग्रेस के पास इस वर्ग से कोई बड़ा चेहरा ही नहीं है। इसे देखते हुए पार्टी जूही बब्बर को उतारना चाहती है।
संवाद कला में माहिर हैं दोनों
ऊषा प्रियदर्शी एवं जूही बब्बर दोनों संवाद कला में माहिर हैं। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि दोनों का मैदान में आना साइबर सिटी के लिए सुखद होगा। दोनों क्षमतावान हैं। साइबर सिटी को तेजतर्रार मेयर चाहिए। दोनों तेजतर्रार के दायरे में आती हैं।
हालांकि राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि नगर निगम गुरुग्राम का मेयर पद सामान्य होना चाहिए था यानी सभी को चुनाव लड़ने की छूट होनी चाहिए थी क्योंकि साइबर सिटी मेट्रोपालिटन सिटी बन चुकी है।
सीट आरक्षित होने से निराशा
नगर निगम गुरुग्राम की सीट आरक्षित होने से भाजपा व कांग्रेस के दावेदारों में घोर निराशा है। सभी पिछले कई महीनों से चुनाव प्रचार में जुटे थे। ड्रा की घोषणा होते ही सभी शांत हो गए।
एक दावेदार ने तो जानकारों को मैसेज भेजकर कह दिया कि आगे से चुनाव को लेकर सक्रियता पर विराम। आपने अब तक साथ दिया इसके लिए बहुत-बहुत आभार।
बता दें कि भाजपा से एनजीओ प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक बोधराज सीकरी, प्रदेश सचिव गार्गी कक्कड़, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऊषा प्रियदर्शी, वरिष्ठ नेत्री पूनम भटनागर, हरविंदर कोहली, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर यशपाल बत्रा, प्रवीण चंद्रा वशिष्ठ, पूर्व पार्षद सुभाष सिंगला,
राकेश यादव, कपिल दुआ, प्रमोद सलूजा, कविता चौहान के अलावा गुरुग्राम होम डेवलपर्स एसोसिएशन के संरक्षक दिनेश नागपाल एवं अध्यक्ष नरेंद्र यादव आदि को मेयर पद का दावेदार माना जा रहा था। कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेता पंकज डावर एवं निशित कटारिया सहित कई दावेदार थे।