पटना। लोकसभा स्पीकर के लिए I.N.D.I.A द्वारा वोट डिवीजन की मांग नहीं करने पर अब सियासत भी तेज हो गई है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन ने दावा किया है कि विपक्ष को पता था कि उसके पास नंबर नहीं है। यदि ये वोट डिवीजन की मांग करते तो इससे उनके अंदर की जो गांठें हैं, वह भी उजागर हो जातीं।
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष के फ्लोर प्रबंधन की खामियां एक दिन पहले ही दिख गई थीं, जब टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी का बयान सामने आया। जयराम रमेश का कहना था कि उन्होंने मत विभाजन के लिए नहीं कहा था। जबकि, अभिषेक बनर्जी का कहना था कि उन्होंने इसके लिए कहा था।
कांग्रेस को चुनौती देंगी टीएमसी, आप जैसी पार्टियां
राजीव रंजन ने कहा कि गठबंधन (I.N.D.I.A) के अंदर की गांठें अब बाहर आने लगी हैं। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो टीएमसी और आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां इनके लिए (कांग्रेस) भविष्य में काफी चुनौतियों खड़ी करेंगी।
के. सुरेश के नाम पर टीएमसी ने क्यों बनाई दूरी?
बता दें कि स्पीकर पद के लिए आईएनडीआईए के प्रमुख घटक दलों कांग्रेस, एसपी, डीएमके, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी ने के. सुरेश के नाम का प्रस्ताव पेश किया, लेकिन टीएमसी ने इससे दूर रही।
वहीं, एनडीए की तरफ से पीएम मोदी ने ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे प्रोटेम स्पीकर ने ध्वनि मत से पारित कर दिया। टीएमसी की शिकायत थी कि के. सुरेश के नाम को लेकर उससे सलाह नहीं की गई। कांग्रेस ने जब मनाने की कोशिश की, लेकिन शायद बात नहीं बन पाई।
जयराम रमेश और अभिषेक बनर्जी ने क्या कहा?
एक तरफ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि आईएनडीआईए ने स्पीकर पद के लिए के. सुरेश का नाम प्रस्तावित करके लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया है। आईएनडीआईए वोट डिवीजन के लिए दबाव डाल सकती थी, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया।
वहीं, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने कहा कि कई सांसदों द्वारा वोटिंग की मांग की गई थी, लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने वोट डिवीजन की अनुमति नहीं दी, क्योंकि उनके पास चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त नंबर नहीं था।