नई दिल्ली। कांग्रेस ने हाल ही में सैम पित्रोदा को एक बार फिर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का प्रमुख नियुक्त किया। उनके पद संभालते ही पार्टी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा था कि पित्रोदा ने आश्वासन दिया है कि भविष्य में वह विवाद के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे। हालांकि, इस बारे में पूछे जाने पर पित्रोदा ने तीखे लहजे में कहा कि यह कांग्रेस का विचार नहीं है, बल्कि रमेश का दृष्टिकोण है।
ऐसा पार्टी नहीं, जयराम कह रहे
उन्होंने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘कांग्रेस ऐसा नहीं कह रही है। जयराम ऐसा कह रहे हैं। जयराम जो कहते हैं वह उनका विचार है, जरूरी नहीं कि यह पार्टी का विचार हो। जयराम का यह कहना ठीक है और मैं इसका सम्मान करता हूं। मुझे जो करना है वह करना है। इस प्रक्रिया में मुझे गलतियां करने का अधिकार है।’
क्या है मामला?
गौरतलब है, पित्रोदा ने लोकसभा चुनाव के दौरान आठ मई को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल, उन्होंने अपने एक बयान में भारतीयों को लेकर नस्लीय टिप्पणी की थी। कहा था कि पूर्व के लोग चीनी और दक्षिण भारतीय अफ्रीकी नागरिकों जैसे दिखते हैं। हालांकि, अब एक बार फिर उन्हें इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का प्रमुख बना दिया गया है।
क्या बोले थे जयराम रमेश?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पित्रोदा को दोबारा नियुक्त करने पर कहा था कि मल्लिकार्जुन खरगे ने पित्रोदा को इस आश्वासन पर दोबारा नियुक्त किया है कि वह भविष्य में इस तरह के विवाद पैदा होने की गुंजाइश नहीं छोड़ेंगे।
उन्होंने एक्स पर कहा था, ‘हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान सैम पित्रोदा ने कुछ ऐसे बयान और टिप्पणियां की थीं जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य थीं। आपसी सहमति से उन्होंने प्रवासी भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद उन्होंने उस संदर्भ को स्पष्ट किया जिसमें बयान दिया गया था और बाद में प्रधानमंत्री के प्रचार अभियान में तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हें इस आश्वासन पर दोबारा नियुक्त किया है कि वह भविष्य में इस तरह के विवाद पैदा होने की गुंजाइश नहीं छोड़ेंगे।’
बेहतर तरीके से रख सकता था अपनी बात
इससे पहले, अप्रैल में पित्रोदा ने अमेरिका में विरासत कर पर एक टिप्पणी की थी, जिस पर भाजपा ने तीखा हमला बोला था। हालांकि, अब इंटरव्यू में उन्होंने माना कि वह शायद अपनी बात को और बेहतर तरीके से रख सकते थे। उन्होंने यह भी कहा कि आज ध्यान बातचीत के अर्थ पर नहीं, बल्कि उसके स्वरूप पर है।