सीवान। बिहार में जहां लगातार पुल टूटने का सिलसिला कायम है। वहीं, इसमें सबसे अव्वल सीवान जिला कहा जा सकता है, क्योंकि यहां आज बुधवार को अचानक एक-एक कर तीन पुल ढह गए। पुल टूटने की पहली घटना महराजगंज अनुमंडल के देवरिया गांव की है। जहां गंडक नदी पर बने पुल का अंतिम पाया जमीन में धंस गया और टूट गया।
इस पुल के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि यह 35 से 40 वर्ष पुराना पुल है। इसकी न तो मरम्मत होती है और न ही कभी देख-रेख ही होती है। उन्होंने बताया कि इस पुल को लेकर ग्रामीणों द्वारा विभाग से मरम्मत की मांग की गई थी। लेकिन यह नहीं हो सका, जिसके बाद यह हादसा हुआ। इस पुल के टूट जाने से 12 गांव के लोगों का आना-जाना प्रभावित हुआ है। लोग काफी आक्रोशित भी हैं।
वहीं, पुल टूटने की दूसरी घटना महराजगंज प्रखंड के तेवता पंचायत के नवतन और सिकंदरपुर स्थित बने पुल की है जो बीच से टूट गया। जैसे ही यह खबर ग्रामीणों को लगी वे वहां इकट्ठा हो गए और दोनों तरफ से बांस लगाकर रास्ते को बंद किया।
ग्रामीणों ने बताया कि कुछ दिन पहले ही इसका चौड़ीकरण किया गया था, जिसमें ज्यादा मिट्टी काट दी गई। इसलिए पाया जमीन में धंस गया, पानी के तेज बहाव को नहीं सह सका और पुल धराशायी हो गया। इससे भी दर्जनों गांव प्रभावित हैं। वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ पांच वर्ष पहले ही बनाया गया था तो इतनी जल्दी क्यों टूट गया?
इसके अलावा पुल गिरने की तीसरी घटना ने सबको झकझोर दिया है। यह पुल भी महराजगंज प्रखंड के धमही गांव में स्थित गंडक नदी पर बना हुआ था। देखते ही देखते यह पुल भी धराशायी हो गआ।
एक-एक कर तीन पुल गिरने के बाद गंडक विभाग के कर्मचारी और जिला प्रशासन मौके पर पहुंच कर जरूरी उपाय में जुट गए हैं। सवाल यह है कि इन घटनाओं की जिम्मेदारी कौन लेगा। जिस तेजी से एक-एक कर पुल गिर रहे हैं, अगर वक्त रहते इन पर ध्यान दिया गया होता या मरम्मत का काम कराया गया होता तो इन घटनाओं से बचा जा सकता था।
सीवान में लगातार तीन पुल गिरने से विभाग में हड़कंप मच गया है। इस पूरे मामले पर सीवान जिलाधकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने गंडक विभाग के कर्मचारियों से बात भी की। साथ ही उन्होंने बताया कि जल्द ही नया पुल बनाया जाएगा।