पटना। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने पटना के बापू सभागार में दिए अपने भाषणों का फोकस युवाओं पर ही रखा। प्रशांत किशोर के भाषणों का केंद्र हमेशा ही बेरोजगारी, पलायन और बेहतर शिक्षा जैसे मुद्दे रहे हैं। बापू सभागार में भी इसकी झलक दिखाई दी। प्रशांत किशोर ने बापू सभागार में भी इन्हीं मुद्दों को लोगों के सामने रखा।
प्रशांत ने बिहार के लोगों को बताया कि ऐसा क्यों है कि बिहार के युवा दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए पलायन करना पड़ा है? पलायन और बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं कैसे निपटा जा सकता है।
रोजगार और पलायन पर बात करते हुए प्रशांत ने कहा कि चपरासी से लेकर मुख्य सचिव तक की संख्या को भी अगर हम जोड़ दें, तब भी पिछले 75 साल में सिर्फ 23 लाख लोगों को सरकारी नौकरी मिली है। यानी कि पिछले 75 साल में गठित हुई 30 से ज्यादा सरकारों ने सिर्फ 23 लाख लोगों को ही सरकारी नौकरी दिया है।
नीतीश तेजस्वी के दावों की निकाली हवा
नीतीश-तेजस्वी का नाम लिए बिना प्रशांत किशोर ने उनके दावे को हवाबाजी करार दे दिया। प्रशांत ने कहा कि बिहार में सिर्फ 1.97 प्रतिशत लोगों को ही सरकारी नौकरी मिली है। लेकिन, कुछ लोग ऐसे सपने दिखा रहे हैं कि अगर हम सत्ता में आएंगे तो एक साल में ही 10 लाख सरकारी नौकरी दे देंगे।
98% लोगों के पास सरकारी नौकरी नहीं
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के 98 प्रतिशत लोगों के पास सरकारी नौकरी नहीं है और बहुत हद तक उन्हें मिलेगी भी नहीं। कहा कि भले ही सभी लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती, लेकिन लोगों के पास रोजगार जरूर होना चाहिए। यहां रोजगार नहीं है, क्योंकि रोजगार पैदा करने के लिए जो साधन-सुविधाएं चाहिए, वह बिहार के पास नहीं है।
रोजगार देने के और भी साधन
प्रशांत ने कहा कि जिन युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, यदि उन्हें खेती या खुद का बिजनेस करने के लिए सरकार की ओर से सस्ते दर पर 5 लाख 10 लाख रुपये का लोन मिल जाए, तो कुछ न कुछ बेहतर रोजी-रोजगार कर लेंगे।
रोजगार की संभावनाओं पर कहा जाता है कि बिहार के पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है। इस पर प्रशांत ने कई देशों का नाम गिनाया, जहां कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, लेकिन आज वे कई बड़े देशों को भी रोजगार के मामले में पीछे छोड़ चुके हैं। प्रशांत का कहना है कि बिहार में यह काम किया जा सकता है। कमी केवल इच्छा शक्ति की है।