नई दिल्ली। दिल्ली आबकारी नीति घोटाला में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की भूमिका व कार्यप्रणाली पर दिल्ली हाईकोर्ट ने गंभीर सवाल उठाते हुए तल्ख टिप्पणियां की है। अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार का यह स्वरूप सबसे बुरे रूप में एक हो सकता है कि गरीब जनता के वैध संसाधनों की चोरी कर इसे अमीर लोगों को दिया जाए।
मंगलवार को अदालत ने मनीष सिसोदिया की भ्रष्टचार व मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नियमित जमानत की मांग वाली जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी। हालांकि, विस्तृत आदेश बुधवार को उपलब्ध हुआ।
‘सिसोदिया को ऐसी नीति बनानी थी जिससे चुनिंदा लोगों को लाभ हो’
अदालत ने कहा कि जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री और अदालत के समक्ष विस्तार से चर्चा के बाद इस स्तर पर प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि मनीष सिसोदिया को एक ऐसी नीति बनानी थी, जिससे थोक विक्रेताओं जैसे चुनिंदा लोगों को लाभ हो और इसके बदले उनसे रिश्वत हासिल किया जाए।
मनीष सिसोदिया को राहत देने से इनकार करते हुए न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि अहम तथ्य यह है कि जनता सरकार पर भरोसा जताती है कि अगर उनसे सुझाव मांगे गए हैं तो उन पर भी विचार किया जाएगा। हालांकि, जनता के सुझाव को दरकिनार कर तत्कालीन आबकारी आयुक्त द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट कैबिनेट नोट से हटा दिए गए।
सार्वजनिक फीडबैक का नहीं लिया संज्ञान
अदालत ने कहा कि इस दौरान जांच में यह भी सामने आ चुका है कि 14 हजार से अधिक ईमेल सार्वजनिक फीडबैठ के रूप से प्राप्त हुए, लेकिन मंत्रिपरिषद/मंत्रियों के समूह के समक्ष पूर्व-निर्धारित ईमेल ही रखे गए, जोकि मनीष सिसोदिया द्वारा तैयार किया गया था।
अदालत ने यह भी कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि मनीष सिसोदिया नई आबकारी नीति के निर्माण व लागू करने के जिम्मेदार थे। इतना ही नहीं थोक विक्रेताओं के लिए पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत मार्जिन किया गया, इससे थोक विक्रेताओं को सात प्रतिशत का अतिरिक्त मुनाफा 338 करोड़ रुपये के रूप में हुआ था।
अब तक रिश्वत की कोई रकम बरामद नहीं होने के सिसोदिया के तर्क को ठुकराते हुए अदालत ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के ऐसे मामले में जहां कई आरोपित साजिश का हिस्सा होते हैं, वहां पर नकदी की वसूली या किसी व्यक्ति विशेष से प्राप्त राशि अनिवार्य नहीं हो सकती।
हवाला के जरिए रिश्वत के रूप में ली गई धनराशि रिकॉर्ड पर आई
हालांकि, आगे की जांच में हवाला के जरिए रिश्वत के रूप में ली गई धनराशि के साक्ष्य अब रिकार्ड पर आ चुके हैं। साथ ही सरकारी गवाहों ने अपने बयान में कहा है कि किस तरह से हवाला के माध्यम से गोवा चुनाव के लिए रुपये लिए गए थे।
मनीष सिसोदिया ने सीबीआई व ईडी मामले में नियमित जमानत देने से इन्कार करने राउज एवेन्यू कोर्ट के 30 अप्रैल के निर्णय को चुनौती दी थी।
इससे पहले सिसोदिया की एक नियमित जमानत याचिका निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक खारिज हो चुकी है। सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फरवरी 2023 व ईडी ने नौ मार्च को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। तब से वह तिहाड़ जेल में बंद हैं।