वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक के बाद एक चौंकाने वाले फैसले और बयानों का सिलसिला जारी है। ट्रंप ने अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से वार्ता शुरू कर दी है, जिससे यूक्रेन के लोगों में नाराजगी है। दरअसल, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की अमेरिका के हिसाब से नहीं चल रहे हैं, इसलिए ट्रंप जेलेंस्की को हटाकर उनकी जगह किसी और को राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं।
ट्रंप जेलेंस्की को क्यों हटाना चाहते हैं?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते है कि यूक्रेन जंग खत्म करने के लिए रूस के साथ समझौता कर ले, लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा की गारंटी के बिना रूस के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करेंगे।
इसलिए ट्रंप चाहते हैं कि जेलेंस्की को हटाकर यूक्रेन में किसी नए नेता को राष्ट्रपति बनाया जाए, जो ज्यादा बिना किसी शर्त उनकी बात मान ले और युद्ध विराम कर ले। कहा जा रहा है कि ट्रंप की टीम ने जेलेंस्की को सत्ता से हटाने के मिशन पर काम भी शुरू कर दिया है।
ट्रंप और जेलेंस्की के बीच क्यों छिड़ी जुबानी जंग?
दरअसल, जब ट्रंप को लगने लगा कि जेलेंस्की उनकी बात नहीं मान रहे हैं तो उन्होंने जेलेंस्की को एक मामूली कॉमेडियन और बिना चुनाव वाला एक ‘तानाशाह’ कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया। दूसरी ओर रूस के प्रति नरमी बरतनी शुरू कर दी। साथ ही पुतिन के साथ ट्रंप की बातचीत ने यूक्रेन को हैरानी में डाल दिया।
इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए जेलेंस्की ने सऊदी अरब की बैठक में जाने से साफ मना कर दिया। बता दें कि इस बैठक में यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया गया था।
अमेरिकी मदद न मिलने से यूक्रेन पर क्या असर होगा?
पिछले तीन साल से लगातार रूस के साथ जंग लड़ते-लड़ते यूक्रेन की माली हालत डगमगा गई है। यूक्रेन की सेना जवानों की कमी और कई तरह की राजनीतिक समस्याओं से जूझ रही है।
रूस के खिलाफ जंग में अमेरिकी हथियार, आर्थिक मदद और स्टारलिंक जैसी संचार सुविधाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। अमेरिकी मदद न मिलने से यूक्रेन की स्थिति बेहद कमजोर हो जाएगी। आखिर में मजबूर होकर यूक्रेन को समझौता करना पड़ेगा।
जेलेंस्की किन चुनौतियों से जूझ रहे हैं?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस से बातचीत कर युद्धविराम करना चाहते हैं, लेकिन वे अपने देश की सुरक्षा से किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे। इस बीच उनको सरकार में बने रहने के लिए समर्थन बनाए रखने और जनता व सैनिकों का मनोबल बनाए रखने की भी चुनौती है।
उन पर देश में सभी पार्टियों और मददगार देशों का समर्थन बनाए रखने की चुनौती है। उनकी लोकप्रियता में भी कमी आई है। जब रूस से जंग छिड़ी थी, तब उनकी लोकप्रियता 90 प्रतिशत थी, जोकि इस साल जनवरी में घटकर 52 प्रतिशत रह गई। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर यूक्रेन में चुनाव होते हैं तो जेलेंस्की पूर्व जनरल वलेरी जालुजनी से हार सकते हैं।
ट्रंप सफल हुए तो यूक्रेन में क्या हो सकता है?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप जल्दबाजी में चुनाव करवाकर यूक्रेन की एकता तोड़ सकते हैं। सुरक्षा गारंटी न मिलने से यूक्रेन में आंतरिक अस्थिरता हो सकती है। इससे युक्रेन में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन सकती है। इसके अलावा, हथियारों की भरमार से कानून व्यवस्था चरमरा सकती है।
यूक्रेन के खनिज में अमेरिका की दिलचस्पी क्यों?
जेलेंस्की और ट्रंप के बीच विवाद की वजह यूक्रेन का खनिज भंडार भी माना जा रहा है। दरअसल, अमेरिकी प्रशासन ने यूक्रेन से खनिज भंडार में आधी हिस्सेदारी मांगी थी, जिसे यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ठुकरा दिया था। इसके बाद से ही जेलेंस्की ट्रंप के निशाने पर आ गए हैं।
बता दें कि यूक्रेन में टाइटेनियम, ग्रेफाइट और लिथियम जैसे खनिजों के विशाल भंडार हैं। हाई-टेक उपकरणों, सेमीकंडक्टर, बैटरियों के निर्माण के लिए ये खनिज जरूरी हैं। यूक्रेन के टाइटेनियम जैसे धातु से अमेरिका की चीन व रूस पर निर्भरता कम करने में मदद हो सकती है।