नई दिल्ली। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद सोनिया गांधी ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान जाति जनगणना को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को जमकर घेरा है। सोनिया गांधी ने जल्द से जल्द जाति जनगणना कराने की मांग उठाई है।
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जाति जनगणना की मांग उठाते हुए कहा है कि, ये जल्द होना चाहिए जिससे सभी पात्र व्यक्तियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) के तहत गारंटीकृत लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि, खाद्य सुरक्षा विशेषाधिकार नहीं बल्कि नागरिकों का मौलिक अधिकार है।
सोनिया गांधी ने कहा UPA सरकार के दौरान इस कानून को लाया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों को खाद्यान्न और पोषण मिल सके ये सुनिश्चित करना था।
उन्होंने कहा कि, इस कानून की मदद से लाखों लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने में मदद की है और कोरोना काल के दौरान इस कानून से लोगों को काफी मदद मिली है।
पात्र लोगों को नहीं मिल रहा राशन
सोनिया गांधी ने एनएफएसए के तहत लागू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि, NFSA ही इस योजना के लिए आधार उपलब्ध कराता है।
इस योजना के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीण और 50 फीसदी शहरी क्षेत्र के लोगों को खाद्यान्न में सब्लिडी मिलती है, जिससे गरीब लोगों को काफी ज्यादा फायदा पहुंचा है।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि, साल 2011 की जनगणना के आधार पर ही NFSA का आंकड़ा आधारित है जबकि एक दशक से अधिक का समय बीत चुका है। सोनिया गांधी ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि, इतने सालों में जनगणना क्यों नहीं कराई गई है? जबकि ये हर 10 साल पर होती है।
‘सरकार नहीं कराने वाली जनगणना’
राजस्थान से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने कहा कि बजट आवंटन के दौरान भी जनगणना को लेकर कोई झलक नहीं मिली, जिससे ऐसा लग रहा है कि सरकार इस साल भी जनगणना नहीं कराने वाली है। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द जनगणना कराने की अपील की है।
सोनिया गांधी ने कहा कि ये एक मूलभूत अधिकारी है। उन्होंने कहा कि जनगणना से ही सही आंकड़े मिलेंगे जिससे सही तरीके से खाद्य सुरक्षा योजनाओं का फायदा सभी तक पहुंच सकता है।