नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि वे नीट-यूजी की परीक्षा को लेकर विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को लागू करेंगे।
सरकार ने बीते साल नीट-यूजी की परीक्षा कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के कामकाज की समीक्षा के लिए सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की थी। इस समिति को परीक्षा में संशोधन के सुझाव देने हैं। बीते साल 2 अगस्त को शीर्ष अदालत ने नीट-यूजी परीक्षा फिर से कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि परीक्षा के दौरान पेपर लीक या गड़बड़ी के पर्याप्त सबूत नहीं मिले। सुप्रीम कोर्ट ने सात सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के कार्यकाल को भी बढ़ाने का निर्देश दिया था।
समिति में ये लोग शामिल
बता दें कि इस विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता इसरो के पूर्व चीफ के राधाकृष्णन कर रहे हैं। इस समिति को परीक्षा को पार्दर्शी बनाने और धांधली रहित बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। समिति के अन्य सदस्यों में रणदीप गुलेरिया, बीजे राव, राममूर्ति के, पंकज बंसल, आदित्य मित्तल और गोविंद जायसवाल भी शामिल हैं।
समिति ने दाखिल की रिपोर्ट
गुरुवार को केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि केंद्र द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है और सरकार सभी सिफारिशों को लागू करेगी।
मेहता ने कहा, ‘हम सभी सिफारिशों को लागू करने जा रहे हैं और इसे (मामले को) छह महीने बाद सूचीबद्ध किया जा सकता है।’ पीठ ने कहा, ‘मामले को तीन महीने के लिए स्थगित किया जाता है। इसके बाद पीठ ने मामले को अप्रैल में सूचीबद्ध करने का निर्देश
समिति को सौंपी गई थी ये जिम्मेदारी
चिकित्सा स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीट-यूजी परीक्षा आयोजित कराई जाती है। विशेषज्ञ पैनल को झारखंड के हजारीबाग में एक परीक्षा केंद्र में प्रश्न पत्र की सुरक्षा भंग होने और उम्मीदवारों के बीच प्रश्नपत्रों के गलत सेट का वितरण जैसी घटनाओं की जांच करने की जिम्मेदारी मिली थी।
साथ ही समिति को परीक्षा सुरक्षा और प्रशासन, डेटा सुरक्षा और तकनीकी संवर्द्धन पर भी अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था। एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 2024 में 23 लाख से अधिक छात्रों ने नीट-यूजी परीक्षा दी।