मुंबई: महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के इस महीने के आदेश के बाद स्थानीय निकाय चुनावों के लिए वार्ड गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को बताया कि विभिन्न औपचारिकताएं पूरी होने के बाद स्थानीय निकाय चुनाव इस साल के अंत तक हो सकते हैं। बता दें कि इन चुनावों की व्यापकता की वजह से इन्हें ‘मिनी विधानसभा’ चुनाव भी कहा जा रहा है। 6 मई को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों का रास्ता साफ किया, जो OBC आरक्षण मुद्दे के कारण 5 साल से अधिक समय से रुके हुए थे। कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को 4 हफ्तों में चुनाव अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।
‘वार्ड गठन की प्रक्रिया में करीब 70 दिन लगेंगे’
राज्य चुनाव आयुक्त दिनेश वाघमारे ने बताया, ‘वार्ड गठन की प्रक्रिया में करीब 70 दिन लगेंगे। इसके बाद आरक्षण की प्रक्रिया होगी, जिसमें 15 दिन और लगेंगे। मतदाता सूची को अपडेट करने में 40 दिन और लग सकते हैं। इस तरह, स्थानीय निकाय चुनाव इस साल के अंत तक हो सकते हैं।’ सभी 29 नगर निगमों, 248 नगर परिषदों, 42 नगर पंचायतों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, और ये सभी वर्तमान में प्रशासकों के अधीन हैं। 27 नगर निगमों का कार्यकाल 2020 से 2023 के बीच खत्म हुआ था। इचलकरंजी और जलना नए बने नगर निगम हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव का रास्ता साफ
वाघमारे ने कहा, ‘चुनावों में कई कारणों से देरी हुई, जिनमें OBC आरक्षण को लेकर याचिकाएं, वार्ड गठन, स्थानीय निकायों में सदस्यों की संख्या, और सरकार द्वारा वार्ड गठन का अधिकार लेना शामिल है।’ 6 मई को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को 4 हफ्तों में चुनाव अधिसूचित करने का निर्देश दिया। OBC आरक्षण का विवादास्पद मुद्दा 2022 के बंठिया आयोग की रिपोर्ट से पहले जैसा रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग की उस सिफारिश को स्वीकार किया, जिसमें OBC की सटीक जनसंख्या का डेटा तय करने के लिए जनगणना और स्थानीय निकायों में इस वर्ग के लिए 27 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने की बात कही गई थी।
‘BMC के चुनाव मौजूदा 227 सीटों के लिए होंगे’
मार्च 2022 में गठित बंठिया आयोग ने स्थानीय निकायों में OBC आरक्षण की जांच की थी। आयोग ने 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा के भीतर OBC के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की थी। मुंबई के बारे में बात करते हुए वाघमारे ने कहा कि बृहन्मुंबई नगर निगम यानी कि BMC के चुनाव मौजूदा 227 सीटों के लिए होंगे, न कि पहले तय की गई 236 सीटों के लिए। स्थानीय निकाय चुनावों में पिछले साल नवंबर में विधानसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करने वाली महायुति गठबंधन को अपनी बादशाहत बरकरार रखने की चुनौती होगी, जिसका मुकाबला महा विकास अघाड़ी यानी कि MVA से होगा।
कौन कैसे उतरेगा मैदान में, अभी तय नहीं
महायुति में BJP, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की NCP शामिल हैं, और MVA में शिवसेना (UBT), NCP (SP) और कांग्रेस शामिल हैं। हालांकि इन पार्टियों को यह भी तय करना है कि वे अकेले चुनाव लड़ेंगी या अपने-अपने गठबंधनों के साथ। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि महायुति की नीति के तौर पर स्थानीय निकाय चुनाव साथ में लड़े जाएंगे। हालांकि, कुछ जगहों पर वे अलग-अलग भी लड़ सकते हैं। MVA में कांग्रेस ने फैसला स्थानीय नेतृत्व पर छोड़ दिया है, जबकि शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से स्थानीय निकाय चुनाव की रणनीति पर बात कर रहे हैं। NCP (SP) नेता जयंत पाटिल ने भी अपनी पार्टी इकाई को स्थानीय चुनाव की तैयारी करने को कहा है।
क्यों कहा जा रहा ‘मिनी विधानसभा’ चुनाव?
महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों को ‘मिनी विधानसभा’ भी कहा जा रहा है क्योंकि ये चुनाव राज्य की राजनीति में विधानसभा चुनावों जैसा महत्व रखते हैं। इनमें 29 नगर निगम, 248 नगर परिषद, 42 नगर पंचायत, 32 जिला परिषद और 336 पंचायत समितियां शामिल हैं, जो लाखों मतदाताओं को प्रभावित करती हैं। ये चुनाव महायुति और महा विकास अघाड़ी की ताकत परखते हैं। खासकर बृहन्मुंबई नगर निगम जैसे बड़े निकायों का परिणाम राज्य की सियासत को दिशा देता है। ये स्थानीय स्तर पर सत्ता और प्रभाव का आकलन करते हैं