ढाका। बांग्लादेश में जिस छात्र आंदोलन ने शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ फेंका था, वह एक बार फिर सक्रिय हो रहा है। आज राजधानी ढाका के शहीद मीनार पर छात्र नेता इकट्ठा होने जा रहे हैं।
बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी ने इस कार्यक्रम का जमकर प्रचार किया है। कहा जा रहा है कि ढाका के शहीद मीनार पर करीब 30 लाख लोग जुटेंगे। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भी छात्र नेताओं के आगे नतमस्तक हो गई है।
छात्र नेता करेंगे रैली
दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से यह कहा गया कि सरकार ‘जुलाई क्रांति’ का एलान करने का जा रही है। जिसे राजनीतिक दलों और छात्रों की मदद से तैयार किया जाएगा। लेकिन यह खबर आते ही छात्र नेता एक्टिव हो गए।
उन्होंने कहा कि जुलाई क्रांति का एलान उनकी तरफ से किया जाएगा। शहीद मीनार पर होने वाली रैली में इसकी घोषणा की बात कही गई। छात्र नेताओं के एलान के बाद ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि सरकार की तरफ से ऐसी कोई तैयारी नहीं है।
छात्र संगठन ने कहा जुलाई-अगस्त के विद्रोह में छात्रों और जनता की भागीदारी के माध्यम से, फासीवादी व्यवस्था को खत्म करने और एक नई राजनीतिक व्यवस्था स्थापित करने की प्रेरणा जगी, जिससे ऐतिहासिक संदर्भ में एक नए बांग्लादेश का जन्म हुआ।
क्या बदलने का है प्लान?
दरअसल छात्र नेता बांग्लादेश के संविधान में बदलाव करना चाहते हैं। दावा है कि उनकी पहली कोशिश बांग्लादेश का नाम बदलने की है। कहा जा रहा है कि बांग्लादेश का नाम इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश या इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईस्ट पाकिस्तान किया जा सकता है।
इसके अलावा बांग्लादेश में सुन्नत और शरीया को भी लागू किया जा सकता है। वहीं बांग्लादेश की सत्ता पर पूरी तरह से काबिज होने के लिए राष्ट्रपति और आर्मी चीफ से जबरन इस्तीफा लिया जा सकता है। मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश का राष्ट्रपति बनाए जाने की भी चर्चा है।
नया संविधान बनाने की कोशिश
छात्रों का कहना है कि वह बांग्लादेश में नया संविधान लाना चाहते हैं। उन्होंने 1972 में तैयार किए गए बांग्लादेश के संविधान को ‘मुजीबिस्ट चार्टर’ बताते हुए कहा कि वह इसे पूरी तरह दफ्न कर देंगे, क्योंकि इसने भारत को बांग्लादेश पर राज करने का मौका दिया है, हालांकि बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी इसके समर्थन में नहीं है।
खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बीएनपी ने कहा कि अगर संविधान में कुछ गलत है, तो उसे बदला जा सकता है, लेकिन पूरी तरह संविधान को नष्ट कर देना सही नहीं है। आपको बता दें कि छात्र नेताओं की तरफ से अब ‘जुलाई क्रांति’ को ‘मार्च फॉर यूनिटी’ का टाइटल दिया गया है।