नई दिल्ली। अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसने अदाणी समूह पर शेयर बाजार में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था, एक बार फिर चर्चा में है। फर्म ने मंगलवार को बताया कि उसे 27 जून को सेबी से एक ईमेल मिला।
हिंडनबर्ग ने बताया कि उसके बाद अदाणी समूह के शेयरों में शॉर्ट सेलिंग का दांव लगाकर भारतीय नियमों का उल्लंघन करने के आरोपों पर उसे भारतीय नियामक की ओर से कारण बताओ नोटिस भेजा गया।
न्यूयॉर्क की कंपनी हिंडनबर्ग ने सेबी के कारण बताओ नोटिस को ‘बकवास’ बताते हुए कहा कि यह उन लोगों को चुप कराने और डराने का प्रयास है जिन्होंने भारत के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों की अोर से किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने की कोशिश की।
हिंडनबर्ग ने कहा कि उसने खुद ही खुलासा किया था कि उसने अदाणी के शेयरों की शॉर्ट सेलिंग की थी जिसका अर्थ है कि उसने अपने मूल्य में गिरावट की उम्मीद में शेयरों का सौदा किया था।
हिंडनबर्ग ने सेबी के कारण बताओ नोटिस पर प्रतिक्रिया देते हुए इस प्रकरण में कोटक महिंद्रा बैंक का भी नाम घसीटा है। उसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे। पहले बताते हैं कि हिंडनबर्ग ने सेबी के कारण बताओ नोटिस पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
सेबी पर टिप्पणी करते हुए हिंडनबर्ग ने क्या कहा?
हिंडनबर्ग ने कहा है कि हमारी ओर से किए गए खुलासों के डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी सेबी मामले में तथ्यात्मक अशुद्धियों की पहचान करने में विफल रहा।
इसके बजाय भारतीय नियामकों की ओर से धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए और इस मामले में हमारी ओर से एक व्यक्ति के हवाले यह कहने पर कि ‘सेबी भ्रष्ट है और नियमों को शिथिल कर अदाणी समूह को मदद कर है’ को स्कैंडल बता दिया।
क्या हिंडनबर्ग ने अदाणी के शेयरों को शॉर्ट करने के लिए दर्जनों फर्मों के साथ काम मिलकर काम किया, जिससे सैकड़ों मिलियन डॉलर कमाए? इस सवाल का खुद जवाब देते हुए हिंडनबर्ग ने कहा कि हमारे पास एक निवेशक भागीदार था।
निवेशक के नाम का खुलासा किए बिना, हिंडनबर्ग ने कहा कि निवेशक भागीदार की मदद से अदाणी समूह के शेयरों को शॉर्ट करके उसके सकल राजस्व में 4.1 मिलियन अमरीकी डालर और समूह के अमेरिकी बॉन्ड की अपनी छोटी स्थिति के माध्यम से सिर्फ 31,000 अमरीकी डालर कमाए।
अदाणी समूह पर आरोप लगाते हुए शॉर्ट सेलर ने कहा, “आज तक, अदाणी समूह हमारी रिपोर्ट में लगे आरोपों को गलत साबित करने में विफल रहा है। इसके बजाय हमारी ओर से उठाए गए हर प्रमुख मुद्दे को नजरअंदाज करते हुए मीडिया में हमपर आरोप लगाकर हमें झुठलाने की कोशिश की गई।
हिंडनबर्ग ने कहा कि अपनी जनवरी 2023 की रिपोर्ट में हमनें गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी और करीबी सहयोगियों की ओर से नियंत्रित अपतटीय शेल संस्थाओं के एक विशाल नेटवर्क के सबूत प्रदान किए हैं। हमने विस्तार से बताया है कि कैसे अरबों रुपये को इन संस्थाओं के माध्यम से सार्वजनिक और निजी संस्थाओं में बाहर ले जाया गया और अक्सर इसका खुलासा भी नहीं किया गया।
सेबी की आलोचना करते हुए शॉर्ट सेलर ने कहा, “नोटिस का अर्थ यह है कि हमारा खुलासा गुप्त या कपटी था। यह नोटिस हमारे ऊपर अधिकार क्षेत्र का दावा करने वाले कानूनी तर्कों को तलाशने के लिए डिजाइन किया गया।
यहां हम बता देना चाहते हैं कि हम एक यूएस-आधारित शोध फर्म हैं जिसमें भारतीय संस्थाओं, कर्मचारी, सलाहकार या संचालन की भूमिका शून्य है। सेबी ने अपनी नोटिस में कहा कि रिपोर्ट में किए गए खुलासे भ्रामक थे क्योंकि हिंडनबर्ग “अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय प्रतिभूति बाजार में भाग ले रहा था।’
हालांकि, अमेरिकी फर्म ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह कोई रहस्य नहीं था,पृथ्वी पर हर कोई जानता था कि हमने शॉर्ट सेलिंग की थी, क्योंकि हमने प्रमुखता से और बार-बार खुद इसका खुलासा किया था।
कोटक बैंक के बारे में हिंडनबर्ग ने क्या कहा?
शॉर्ट सेलर ने खुलासा किया कि कोटक बैंक द्वारा बनाई गई और देखरेख की गई एक ऑफशोर फंड संरचना का उपयोग उसके “निवेशक भागीदार”की ओर से अदाणी समूह के शेयरों में शॉर्ट सेलिंग के लिए किया गया था।
हालांकि हिंडनबर्ग ने अपने निवेशक साझेदार के नाम का खुलासा नहीं किया। हिंडनबर्ग ने बताया कि अदाणी से जुड़े सौदों में निवेशक साझेदार के जरिए से महज 4.1 मिलियन डॉलर का राजस्व प्राप्त हुआ। जबकि अमेरिकी बॉन्ड के जरिए उसने सिर्फ 31,000 डॉलर कमाए।
हिंडनबर्ग ने दावा किया है कि सेबी के नोटिस में कोटक बैंक का “स्पष्ट रूप से” नाम नहीं है। हिंडनबर्ग ने कहा, “हमें संदेह है कि सेबी की ओर से नोटिस में कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करने का मतलब एक और शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जांच की संभावना से बचाना हो सकता है।”
हिंडनबर्ग की टिप्पणी पर कोटक ने क्या जवाब दिया?
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग की टिप्पणी पर कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड (KMIL) ने जवाब दिया है। कंपनी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि हिंडनबर्ग कभी भी उसका ग्राहक या निवेशक नहीं रहा है।
कंपनी ने कहा, “कोटक महिंद्रा इंटरनेशनल लिमिटेड (KMIL) और केआईओएफ स्पष्ट कर रहे हैं कि हिंडनबर्ग कभी भी फर्म का ग्राहक नहीं रहा है और न ही यह कभी फंड में निवेशक रहा है।
फंड को कभी पता नहीं था कि हिंडनबर्ग उसके किसी भी निवेशक का भागीदार था।’ केएमआईएल को फंड के निवेशक से पुष्टि और घोषणा भी मिली है कि उसका निवेश मूलधन के रूप में किया गया था न कि किसी अन्य व्यक्ति की ओर से।
कंपनी ने यह भी कहा कि केआईओएफ (के- इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड लिमिटेड) ग्राहकों को ऑनबोर्ड करते समय केवाईसी प्रक्रियाओं का पालन करता है और इसके सभी निवेश सभी लागू कानूनों के अनुसार किए जाते हैं।
केआईओएफ एक SEBI पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक है और मॉरीशस के वित्तीय सेवा आयोग द्वारा विनियमित है। फंड की स्थापना 2013 में विदेशी ग्राहकों को भारत में निवेश करने में सक्षम बनाने के लिए की गई थी।
ग्राहकों को ऑनबोर्ड करते समय फंड उचित केवाईसी प्रक्रियाओं का पालन करता है और इसके सभी निवेश सभी लागू कानूनों के अनुसार किए जाते हैं। हमने अपने परिचालन के संबंध में नियामकों के साथ सहयोग किया है और ऐसा करना जारी रखेंगे।