धर्मेन्द्र कुमार की रिपोर्ट
चंदौली। एक तरफ यूपी की योगी सरकार कान्वेन्ट की तर्ज पर सुदूर इलाकों के परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को डिजिटल माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ शिक्षा के मन्दिर मे गुरुजी डिजिटल ब्लैकबोर्ड पर कुछ और ही ज्ञान नौनिहालों को दे रहै है। इस मामले मे जानकारी होने पर बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जो किताबे हमें मिली है और उसमे जो लिखा है उसी को बच्चो को पढ़ाया जा रहा है।
दरअसल, मामला चकिया विकास खण्ड के पूर्व माध्यमिक विद्यालय फिरोजपुर का है। जिसमे जांच हेतु पहुंचे खण्ड शिक्षा अधिकारी रामटहल व उनके साथ दो एआरपी वेद प्रकाश, बाबूलाल की मौजूदगी मे BEO साहब डिजिटल ब्लैक बोर्ड पर कक्षा पांच के बच्चो को पढ़ा रहे है है कि स्वतंत्र भारत के पहले रेलमंत्री लालबहादुर शास्त्री थे।
जबकि कक्षा 5 के वाटिका नामक किताब के पृष्ठ सख्या 5 मे सिर्फ शास्त्री जी रेलमंत्री थे, ये वर्णन किया गया है। दूसरी ओर गूगल पर सर्च करने के पर आ रहा है कि 15 अगस्त 1947 से 22 सितंबर 1948 तक जान मथाई भारत के रेल मंत्री थे। ऐसी स्थिति में ये बात स्पष्ट नहीं हो पा रही है कि किताब सही है या गूगल।
इस संबंध में जब बीएसए प्रकाश सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो तथ्य किताबो में है उसी हिसाब से जानकारी दी जानी चाहिए। इसका निर्णय करने का अधिकार हमे नहीं है। जो किताब में लिखी है वही सही है।
वही खंड शिक्षाधिकारी चकिया के साथ अपना काम छोड़कर घूम रहे दो एआरपी के बारे में बीएसए ने कहा कि अगर खंड शिक्षाधिकारी के साथ किसी विशेष कार्य को छोड़कर एआरपी उनके साथ चल रहे है तो ये नियमो का उलंघन है, मैं इस मामले की जांच करूंगा।