नई दिल्ली। प्रतिबंधित आतंकवादी समूह पॉपुलर फ्रंट इंडिया (PFI) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने PFI से जुड़े 8 लोगों की जमानत रद्द कर दी है। कोर्ट ने जमानत इस आधार पर रद्द करने का आदेश दिया कि उनके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं।
कोर्ट ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राष्ट्रीय सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि है। कोर्ट ने ये भी कहा कि आतंकवादी घटना हिंसक या अहिंसक प्रतिबंधित किया जा सकता है। PFI के 8 सदस्यों पर देश भर में आतंकवादी गतिविधियों की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
इन आठ सदस्यों के नाम हैं- बाराकतुल्लाह, अहमद इदरीस, खालीद मोहम्मद, सईद इश्हाक, ख्वाजा मौहेउद्दीन, यासिर आराफात, फयाज अहमद और मोहम्मद अब्बुताहिर।
कोर्ट ने क्या क्या कहा?
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की वेकेशन बेंच ने HC के जमानत देने के आदेश को रद्द किया है। कोर्ट ने कहा कि अपराध की गंभीरता और अधिकतम सज़ा के तहत जेल में बिताए गए सिर्फ 1.5 साल को ध्यान में रखते हुए हम जमानत देने के HC के आदेश में दखल दे रहे हैं।
नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने जमानत देने के हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने NIA की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि NIA ने कोर्ट के सामने जो सामग्री रखी है, उसके आधार पर प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
पांच साल का लग चुका है बैन
बता दें कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2022 में PFI पर पांच साल का बैन लगा दिया था। केंद्र सरकार ने PFI के अलावा 8 और संगठनों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए बैन कर दिया था।
दरअसल NIA , ED और राज्यों की पुलिस ने सितंबर 2022 में सात राज्यों में छापेमारी में PFI से जुड़े करीब 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार और हिरासत में लिया था। एजेंसियों को PFI के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले। इसके बाद संगठनों को बैन कर दिया गया था।