रांची। झारखंड में भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस समय चार पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इनमें प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, चंपई सोरेन, अर्जुन मुंडा और मधु कोड़ा शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास अब ओडिशा के राज्यपाल पद पर है। इनमें से बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन स्वयं चुनाव लड़ रहे थे।
जबकि अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका से और मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर से चुनाव लड़ रहीं थीं। रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ रहीं थीं। ये सारे नेता अपनी सीट पर पूरे चुनाव के दौरान केंद्रित रहे।
हालांकि दूसरे दौर में कुछ सीटों पर इन्होंने प्रचार किया लेकिन इनकी सक्रियता सीमित ही रही। जबकि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान फ्रंट लाइन पर रहकर चुनाव को लीड करते रहे।
स्थानीय और प्रदेश नेतृत्व के पीछे रहने से कई बार कार्यकर्ताओं में संवाद का अभाव रहा। इसके अलावा केंद्र से आए नेताओं का बड़ा कद स्थानीय कार्यकर्ताओं को उनसे मिलने से रोकता रहा।
बागी प्रत्याशी तो माने लेकिन चुनाव में मन से नहीं लगे
चुनाव में भाजपा के कई नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर अलग से नामिनेशन किया। हालांकि असम के मुख्यमंत्री और चुनाव प्रभारी हिमंत बिस्व सरमा ने इनमें से कई को मना लिया, लेकिन ऐसे कार्यकर्ता पूरी तरह से चुनाव में नहीं लगे। इस वजह से स्थानीय कार्यकर्ताओं में आपसी सामंजस्य नहीं हो पाया। भाजपा की इतनी बड़ी हार में यह भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।